23 July 2017

1556 - 1560 मोहब्बत जिंदगी हाल शर्मिंदा ख़्वाहिश कैदी शख्स हकीक़त सज़ा मज़बूर तवायफ मशहूर शायरी


1556
मेरा हाल देखकर,
मोहब्बत भी शर्मिंदा हैं,
कि ये शख्स सब कुछ हार गया,
फिर भी ज़िंदा हैं...

1557
ख़्वाहिशोंका कैदी हूँ,
मुझे हकीक़तें सज़ा देती हैं…

1558
जिंदगी भी तवायफकी तरह होती हैं..!!
कभी मज़बूरीमें नाचती हैं,
कभी मशहूरीमें...!!

1559
तोड़ना होता तो रिश्ता ना बनाते,
उम्मीद ना होती तो सपने ना सजाते,
एतबार किया हैं हमने आपकी दोस्तीपें,
भरोसा ना होता तो दिलका हिस्सा ना बनाते...

1560
अदाओ वफाओंका,
जमाना गया यारो...
सिक्कोकी खनक बताती हैं,
रिश्ता कितना मजबूत हैं...!

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