13 July 2017

1511 - 1515


1511
हो सकती है जिन्दगी मे,
महोब्बत दोबारा भी...
पर होसला चाहिए फिर से
बरबाद होने का........

1512
किन लफजों मे लिखुँ
मैँ अपने इन्तजार कोँ !
बेजुबाँ सा इश्क तुम्हेँ
खामोशी से ढूँढता है...!!!

1513
धड़कनों को भी,
रास्ता दे दीजिये हुजूर,
आप तो पूरे दिल पर,
कब्जा किये बैठे है...

1514
कुचलते रहे लोग मुझे
जब तक हम "फूल" से थे।
जबसे हम पत्थर बने
लोगो ने भगवान बना लिया।।

1515
उन लोगों का क्या हुआ होगा;
जिनको मेरी तरह ग़म ने मारा होगा;
किनारे पर खड़े लोग क्या जाने;

डूबने वाले ने किस-किस को पुकारा होगा.......

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