8 July 2017

1486 - 1490


1486
मेरे अंदर भी कमियॉ ढेरसारी होंगी.......
पर
एक खुबी भी है...
हम किसी के साथ
" म त ल ब  "
के लिये रिश्ते नही रखते...
1487
खोई आँखो में उन को सज़ा लिया,
आरज़ू मे उन की चाहत को बसा लिया,
धड़कन भी अब ना ज़रूरी हमारे लिए,
जब से दिल में उन्ही को बिठा लिया...
1488
यादें बजती रहीं,
उनकी घुँघरुओं की तरह...
कल रात भर...
फिर उन्होने मुझे सोने ना दिया.......
1489
मेरे गम ने होश उनके भी खो दिए,
वो समझाते समझाते खुद ही रो दिए l
1490
फकीरों के डेरे में रोशनाई बहुत है,

इस मौसम में रहनुमाई बहुत है ...

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