29 July 2017

1581 - 1585 दिल धड़कन मोहब्बतें पल अधूरी उम्र असर मौत दुआ खबर बात पसंद अजीब शायरी


1581
मोहब्बतें अधूरी रह जाती हैं...!
तभी तो शायरीयाँ पूरी होती हैं...!

1582
वो बात क्या करूँ जिसकी खबर ही न हो;
वो दुआ क्या करूँ जिसमे असर ही न हो;
कैसे कह दूँ आपको लग जाये मेरी भी उम्र;
क्या पता अगले पल मेरी उम्र ही न हो !!!

1583
मोहब्बत और मौत दोनोंकी पसंद... अजीब हैं...!
एकको दिल चाहिए और दूसरेको धड़कन...!

1584
"मैं तो रंग हुँ तेरे चेहरेका...
जितना तू खुश रहेगी,
उतनाही मैं निखरता जाऊँगा...!

1585
ज़िंदगीमें हमने कभी कुछ चाहा ही नहीं;
जिसे चाहा उसे कभी पाया ही नहीं;
जिसे पाया उसे यूँ खो दिया;
जैसे ज़िंदगीमें कभी कोई आया ही नहीं।

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