9 July 2017

1491 - 1495


1491
किसी चेहरे पर...
ख़ुशी की तलाश न कर ,
हर चेहरा फरेब है,
और हर कहानी अधूरी...!!
1492
लौट आऊँगा फिरसे
तेरी पनाहों में ऐ ज़िन्दगी.....
बाज़ार-ए-इश्क़ में
पूरी तरह लुटने तो दे मुझे.......!
1493
अभी तो,
प्यार की किताब खोली ही थी…
और ना जाने कितने,
इम्तेहान आ गए........
1494
किसी और की दौलत, किसी के किस काम की
किसी और की शौहरत, किसी के किस काम की
जो किसी के पास का अंधेरा न मिटा सके,
वो दूर से दिखती रोशनी, किसी के किस काम की ?
1495
जब कभी टूट कर बिखरो,
तो बताना हमको...
तुम्हें रेत के जर्रों से भी,

चुन सकते हैं हम.......

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