31 July 2017

1591 - 1595 दिल इश्क हार जीत मुसीबत वादा वक़्त सलाम नाम जाम खामोशी बेसबब दर्द आवाज शायरी


1591
मुझे आता ही कहाँ हैं ?
किसीका दिल जीतना,
मैं तो खुद......
अपना भी हार बैठा हूँ.......

1592
इश्कका तो पता नहीं...
पर जो तुमसे हैं,
वो किसी औरसे नहीं...!

1593
ऐ खुदा,
मुसीबतमें डाल दे मुझे...
किसीने बुरे वक़्तमें आनेका,
वादा किया हैं.......

1594
हम तो जी रहे थे उनका नाम लेकर,
वो गुज़रते थे हमारा सलाम लेकर,
कल वो कह गये भुला दो हुमको,
हमने पुछा कैसे......
वो चले गये हाथो मे जाम देकर......

1595
खामोशी बेसबब नहीं होती. . .
दर्द आवाज छीन लेता हैं . . . !!!

No comments:

Post a Comment