2 August 2017

1596 - 1600 दिल जख़्म मरहम ग़म इलाज़ दवा इश्क मुहब्बत बात याद आँख ख्वाब उम्र शायरी


1596
किसीके जख़्मका मरहम,
किसीके ग़मका इलाज़...
लोगोंने बाँट रखा हैं मुझे,
दवाकी तरह.......

1597
इश्क, मुहब्बत क्या हैं...?
मुझे नहीं मालूम... बस .....
तुम्हारी याद आती हैं...
सीधीसी बात हैं.......

1598
आये हो आँखोंमें तो,
कुछ देर तो ठहर जाओ;
एक उम्र लग जाती हैं,
एक ख्वाब सजानेमें...!

1599
हर एक बातपें कहते हो तुम,
की तुम क्या हो...
तुम्ही कहो कि यॆ,
अंदाज-ए-गुफ्तगु क्या हैं...?

1600
कब उनकी आँखोंसे,
इज़हार होगा...,
दिलके किसी कोनेमें,
हमारे लिए प्यार होगा...,
गुज़र रही हैं रात,
उनकी यादमें...,
कभी तो उनको भी,
हमारा इंतज़ार होगा...!

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