1651
मुझे उन आँखोंमें कभी,
आँसु अच्छे नहीं लगते...
जीन आँखोंमें अकसर,
खुदके लिये प्यार देखता हैं l
1652
जबसे देखा हैं,
तेरी आँखोंमें झाककर,
आईना अच्छा नहीं लगता,
मोहब्बतमें ऐसे हुए हैं दीवाने,
तुम्हें कोई देखे, तो अच्छा नहीं लगता l
1653
न जाने क्या जादू हैं,
उसके पाक इश्क और अदाओंमें...!
बेफिक्र हूँ ज़मानेसे और,
मशरूफ हूँ उसकी मोहब्बतमें.......!
1654
"तमाम उम्र अकेलेमें,
तुझसे बातें कीं,
तमाम उम्र तेरे रूबरू,
खामोश रहे...!"
1655
गज़बकी धुप हैं शहरमें,
फिर भी पता नहीं,
लोगोंके दिल यहां,
क्यों नहीं पिघलते...
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