5 August 2017

1616 - 1620 जिन्दगी खूबसूरत पल याद पलक आँसु रिश्ते शौहरत मौहलत इंसान शुक्रिया दुआ शायरी


1616
कुछ खूबसूरत पल याद आते हैं,
पलकोंपर आँसु छोड जाते हैं,
कल कोई और मिले हमें न भुलना,
क्योंकि कुछ रिश्ते जिन्दगीभर याद आते हैं l

1617
दोस्तीका शुक्रिया कुछ इस तरह अदा करू,
आप भूल भी जाओ तो मैं हर पल याद करू,
खुदाने बस इतना सिखाया हैं मुझे,
कि खुदसे पहले आपके लिए दुआ करू !

1618
"रब" ने नवाजा हमें जिंदगी देकर,
और हम "शौहरत" मांगते रह गये;
जिंदगी गुजार दी शौहरतके पीछे,
फिर जीने की "मौहलत" मांगते रह गये...।

1619
ये 'कफन', ये 'जनाज़े', ये 'कब्र',
सिर्फ बातें हैं मेरे दोस्त...
वरना मर तो इंसान तभी जाता हैं ,
ब याद करनेवाला कोई ना हो...!

1620
ये समंदर भी, तेरी तरह,
खुदगर्ज़ निकला,
ज़िंदा थे तो तैरने न दिया
और मर गए तो डूबने न दिया . . .

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