14 August 2017

1656 - 1660 दिल मोहब्बत इश्क बात पहचान मौज आँख नाज़ुक नींद धड़क नज़र ख़ामोश शायरी


1656
इक बात कहूँ "इश्क",
बुरा तो नहीं मानोगे....
बडीके थे दिन,
तेरी पहचानसे पहले l

1657
इस नाज़ुक दिलमें
किसीके लिये इतनी मोहब्बत हैं,
हर रात जबतक
आँख भीग ना जाये, नींद नहीं आती...

1658
दिल तो हर किसीके,
सीनेमें धड़कता हैं l
किसी औरके लिए धड़के,
तो कोई बात हो !

1659
नज़र ही नज़रमें,
मुलाक़ात कर ली....
रहे दोनों ख़ामोश,
और बात कर ली.....!

1660
उनको मालूम हैं की,
उनके बिन हम टूट जाते हैं,
फिर क्यूँ वो आज़माते हैं हमको,
बिछड़ बिछड़कर . . . ! ! !

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