5 August 2017

1611 - 1615 दिल प्यार जिन्दगी भूल माफ़ खता गम बेवफा दरार बेवफा अफ़सोस नाम शायरी


1611
हर भूल तेरी माफ़ की...
हर खताको तेरी भुला दिया...
गम हैं कि, मेरे प्यारका,
तूने बेवफा बनके सिला दिया...l

1612
यहाँ हर किसीको,
दरारोंमें झांकनेकी आदत हैं...
दरवाजा खोल दो तो,
कोई पूछने तक नहीं आता.......

1613
गम इस बातका नहीं कि तुम बेवफा निकली,
मगर अफ़सोस ये हैं कि,
वो सब लोग सच निकले ,
जिनसे मैं तेरे लिए लड़ा करता था...

1614
चलो ये जिन्दगी,
अब तुम्हारे नाम करते हैं,
सूना हैं कि बेवफा की,
बेवफासे खूब बनती हैं.......

1615
क़भी चुपकेसे,
मुस्कुराकर देखना l
दिलपर लगे पहरे,
हटाकर देख़ना, l
ये ज़िन्दग़ी तेरी,
खिलखिला उठेगी l
ख़ुदपर कुछ लम्हें,
लुटाकर देखना...l

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