16 August 2017

1666 - 1670 दिल याद गम कसम आँख सैलाब शख्स चाँद चौखट नादान शायरी


1666
यादोंको तेरी हमने खोने ना दिया,
गमोंने भी चूप होने ना दिया,
आँखे तो आजभी भर आई तेरी यादमें,
पर तेरी दी हुई कसमने हमें रोने ना दिया!!!

1667
सुनो ,
कभी भीगना हो तुम्हे पानीमें, 
मेरी इन आँखोंमें चले आना...
 यहाँ आये दिन सैलाब आते हैं...।।

1668
”ऐ चाँद चला जा,
क्यो आया हैं मेरी चौखटपर...!!
छोड गये वो शख्स,
जिसकी यादमें हम तुझे देखा करते थे ...!!”

1669
जो कभी न मिले.......
उससे ही लग जाता हैं दिल,
आखिर ये दिल,
इतना नादान क्यों हैं.......

1670
नादानियाँ झलकती हैं,
अभी भी मेरी आदतोंसे...!!
मैं खुद हैरान हूँ,
के मुझे इश्क़ हुआ कैसे.......!!!

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