18 August 2017

1676 - 1680 जिन्दगी तकदीर गम शीशा तस्वीर नाराज़ ख़ामोश शख्स वक्त मुस्कुराहट शायरी


1676
गम ना कर ऐ दोस्त,
तकदीर बदलती रहती हैं,
शीशा शीशा ही रहता हैं,
तस्वीर बदलती रहती हैं l

1677
मेरे चुप रहनेसे,
नाराज़ ना हुआ करो,
कहते हैं...
टूटे हुए लोग हमेशा,
ख़ामोश हुआ करते हैं.......

1678
ना रात कटती हैं...
और ना जिन्दगी.....!
एक शख्स मेरे वक्तको.......
इतना धीमा कर गया...!!!

1679
उनकी यह मुस्कुराहटें,
खुशियोंकी जैसे आहटें,
एक कश इश्क़का,
एक नशा उनके नामका !

1680
वो नहीं आती पर निशानी भेज देती हैं l
ख्वाबोमें दास्ताँ पुरानी भेज देती हैं ll
कितने मीठे हे उसकी यादोंके मंज़र l
कभी कभी आँखोंमें पानी भेज देती हैं ll

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