1531
हम नफरतके काबिल थे,
तो नफरतसे ही मार देते...!
क्यों अपनी महफ़िलमें बुलाकर...
प्यारसे कह दिया,
" कौन हो तुम.... "
1532
डाल देना अपने ही हाथोंसे कफन,
मेरी लाशपर.....
के तेरे दिये जख्मोंके तोहफे,
कोई और ना देख ले.......
1533
अब ना करूँगा,
अपने दर्दको बया किसीके सामने,
दर्द जब मुझको ही सहना हैं...
तो तमाशा क्यूँ करना.......
1534
दिलसे हम जिसको प्यार देंगे,
सच केहेते हैं उसकी जिंदगी सवार देंगे...
देख लेना तरस जायेंगे वो लोग उमर भरके लिये,
जिनको हम दिल दे निकाल
देंगे......।
1535
तेरी साँसके साथ चलती हैं,
मेरी हर धड़कन.......
और तुम पूछते हो,
मुझे याद किया या नहीं.......