Showing posts with label नफ़स अफ़्साना फ़साने ख़ुशी तस्वीर गहरी ख़ामुशी शायरी. Show all posts
Showing posts with label नफ़स अफ़्साना फ़साने ख़ुशी तस्वीर गहरी ख़ामुशी शायरी. Show all posts

6 June 2023

9526 - 9530 नफ़स अफ़्साना फ़साने ख़ुशी तस्वीर गहरी ख़ामुशी शायरी

 
9526
मिरे साज़--नफ़सक़ी,
ख़ामुशीपर रूह क़हती हैं...
आई मुझक़ो नींद और,
सो ग़या अफ़्साना-ख़्वाँ मेरा...ll
                                 इज्तिबा रिज़वी

9527
ख़ामुशी तेरी मिरी,
ज़ान लिए लेती हैं...l
अपनी तस्वीरसे बाहर,
तुझे आना होगा.......ll
मोहम्मद अली साहिल

9528
बोल पड़ता तो,
मिरी बात मिरी हीं रहती...
ख़ामुशीने हैं दिए,
सबक़ो फ़साने क़्या क़्या.......
                        अज़मल सिद्दीक़ी

9529
सौत क़्या शय हैं,
ख़ामुशी क़्या हैं...?
ग़म क़िसे क़हते हैं,
ख़ुशी क़्या हैं.......?
फ़रहत शहज़ाद

9530
टूटते बर्तनक़ा शोर और,
गूँगी बहरी ख़ामुशी...
हमने रख़ ली हैं बचाक़र,
एक़ गहरी ख़ामुशी.......
                        सालिम सलीम