4236
तुम्हारी नज़दीकियाँ चाहता
हूँ,
बिलकुल वैसे, जैसे हवामें खुशबू...!
4237
हवाए हडतालपर हैं
शायद...
आज तुम्हारी खुशबू नही
आयी.......
4238
जब तुम खुश
होकर मुस्कुराते
हो,
तो हम तुम्हें
देखकर मुस्कुराते
हैं...!
बेशक तुम मुस्कुरा
लेती हों गैरोंके
साथ...
मगर जब बात
आँसुओंकी होती
हैं,
तब दामन
मेरा तलाशते हों.......!
4239
अपने हाथोंकी लकीरें,
न बदल पाया...
खुशनसीबोसे बहुत,
हाथ मिलाये हमने...
4240
जबसे छूटा
हैं गांव,
वो
मिट्टीकी खुशबू
नहीं मिलती...
इस भीड़ भरे
शहरमें,
अपनोंकी सी सूरत
नहीं मिलती...।