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19 August 2019

4626 - 4630 प्यार आँसू निगाह फ़साना आईना बात लब हंसी रिश्ते चोट मुस्कुरा शायरी


4626
आँसूओको कह दो,
कोई और निगाह ढूंढ ले,
हम तो अंगारोपे भी,
मुस्कुराके चलते हैं...

4627
एक फ़साना सुन गए,
एक कह गए...
हम जो रोये तो,
मुस्कुराकर रह गए...

4628
मुमकिन हैं आईना पूछले,
मुझसे ये एक बात...
हँसते अब भी बहुत हो,
मुस्कुराते क्यूँ नहीँ...?

4629
प्यारका बदला कभी चुका सकेंगे,
चाहकर भी आपको भुला सकेंगे;
तुम ही हो मेरे लबोंकी हंसी,
तुमसे बिछड़े तो फिर मुस्कुरा सकेंगे...

4630
कुछ इसी तरहसे,
रिश्तोंको हम निभाते रहे...
हर बार चोट खाके भी,
ऐसे ही मुस्कुराते रहे...!