1606
माना की चन्द लम्होंकी,
मुलाकात थी ।
मगर सच ये भी हैं,
वो लम्हे ज़िन्दगी बन गए !!!
1607
इस बार तुम जाओ,
तो उनके पंख मत कतरना;
तुम्हारे बाद ये लम्हे,
बस रेंगते रहते हैं.......
1608
छोटेसे दिलमें गम बहुत हैं ,
जिन्दगीमें मिले जख्म बहुत हैं ,
मार ही डालती कबकी ये दुनियाँ हमें ,
कम्बखत दोस्तोंकी दुआओंमें दम बहुत हैं l
1609
जहां हो, जैसे हो, वहीं...
वैसे ही रहना तुम l
तुम्हें पाना जरुरी नहीं,
तुम्हारा होना ही काफी हैं l.......
1610
तेरे जानेके बाद,
कौन रोकता मुझे;
जी भरके खुदको,
बरबाद किया.......