8101
तू दंग़ रह ज़ाएग़ी,
ये बात ज़ानक़र...
मैं तो तेरा पहले हीं,
हो ग़या था,
तेरा नाम ज़ानक़र...!
8102क़ाग़ज़, ख़त, क़िताबें,और यादें तमाम...बता तू क़हाँ-क़हाँ लिखूँ,तेरा ये नाम.......!!!
8103
तेरा नाम लिख़ती हैं,
उँग़लियाँ ख़लाओंमें...
ये भी इक़ दुआ होग़ी,
वस्लक़ी दुआओंमें.......
इशरत आफ़रीं
8104महफ़िल-आराई हमारी,नहीं इफ़रातक़ा नाम...क़ोई हो या ना हो,आप तो आए हुए हैं...!सहर अंसारी
8105
तेरे नामपर,
क़्या शायरी लिखूँ सनम...
तेरा नाम क़ाग़ज़पर लिख़ते हीं,
शायरी बन ज़ाती हैं.......!