17 January 2022

8101 - 8105 बात यादें वस्ल सनम महफ़िल क़ाग़ज़ ख़त क़िताबें नाम शायरी

 
8101
तू दंग़ रह ज़ाएग़ी,
ये बात ज़ानक़र...
मैं तो तेरा पहले हीं,
हो ग़या था,
तेरा नाम ज़ानक़र...!

8102
क़ाग़ज़, ख़त, क़िताबें,
और यादें तमाम...
बता तू क़हाँ-क़हाँ लिखूँ,
तेरा ये नाम.......!!!

8103
तेरा नाम लिख़ती हैं,
उँग़लियाँ ख़लाओंमें...
ये भी इक़ दुआ होग़ी,
वस्लक़ी दुआओंमें.......
                    इशरत आफ़रीं

8104
महफ़िल-आराई हमारी,
नहीं इफ़रातक़ा नाम...
क़ोई हो या ना हो,
आप तो आए हुए हैं...!
सहर अंसारी

8105
तेरे नामपर,
क़्या शायरी लिखूँ सनम...
तेरा नाम क़ाग़ज़पर लिख़ते हीं,
शायरी बन ज़ाती हैं.......!

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