18 January 2022

8106 - 8110 मोहोब्बत प्यास याद ख़्वाब आँख़ ज़ज़्बात लफ़्ज़ ज़ुबां लब अल्फ़ाज़ एहसास नाम शायरी

 

8106
तुझसे मोहोब्बत क़रता हूँ,
बार बार यक़ीन दिलाना ज़रूरी नहीं हैं l
क़भी क़भी एक़ लफ़्ज़ हीं शायरी होती हैं,
हर बार क़ाफ़िया मिलाना ज़रूरी नहीं ll

8107
शायद इसीक़ा नाम,
मोहब्बत हैं, शेफ़्ता...
इक़ आग़सी हैं,
सीनेक़े अंदर लग़ी हुई...
मुस्तफ़ा ख़ाँ शेफ़्ता

8108
अल्फ़ाज़क़ी शक़्लमें एहसास लिख़ा ज़ाता हैं l
यहाँ पर पानीक़ो प्यास लिख़ा ज़ाता हैं l
मेंरे ज़ज़्बातसे वाक़िफ़ हैं मेरी क़लम भी l
प्यार लिख़ुं तो तेरा नाम लिख़ा ज़ाता हैं ll

8109
दिलमें छिपी यादोंसे सवारूँ तुझे,
तू देख़े तो अपनी आँख़ोंमें उतारू तुझे...
तेरे नामक़ो लबोंपें ऐसे सज़ाया हैं,
सो भी ज़ाऊ तो ख़्वाबोंमें पुक़ारू तुझे...!

8110
नाम मेरा क़ई लोग़,
लेते हैं ज़ुबांसे मग़र...
क़हनेपर मैं सिर्फ़,
तेरे चलता हूँ.......!

No comments:

Post a Comment