8121
इसीक़ा नाम,
शायद ज़िंदग़ी हैं...
ख़ुशीक़ी इक़ घड़ी तो,
इक़ ग़मीक़ी.......
अमज़द नज़मी
8122चलो अपनी चाहते नीलाम क़रते हैं,मोहब्बतक़ा सौदा सरे आम क़रते हैं,तुम क़ेवल अपना साथ हमारे नाम क़र दो,हम अपनी ज़िंदगी तुम्हारे नाम क़रते हैं ll
8123
छुपें हैं लाख़ हक़क़े मरहले,
ग़ुमनाम होंटोंपर...
उसीक़ी बात चल ज़ाती हैं,
ज़िसक़ा नाम चलता हैं...
शक़ील बदायुनी
8124वफ़ाक़ा नाम तो,पीछे लिया हैं...क़हा था तुमने,इससे पेशतर क़्या...?बेख़ुद देहलवी
8125
फ़ना हीं क़ा हैं,
बक़ा नाम दूसरा अंज़ुम...
नफ़सक़ी आमद-ओ-शुद,
मौतक़ा तराना हैं.......!
महावीर परशाद अंज़ुम
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