28 January 2022

8146 - 8150 क़िस्सा प्यार पलक़े आँख़े इश्क़ नशा मोहब्बत शाम बदनाम शायरी

 

8146
अब ये क़िस्सा,
बड़ा आम सा हैं...
इश्क़में जो सच्चा हैं,
वहीं बदनाम सा हैं...!

8147
प्यार तबतक़ क़रेंगे,
ज़बतक़ शाम हो...
चल ऐसी ज़गह ज़हाँ,
तू बदनाम हो.......

8148
मिसाल देंगे लोग,
हमारी मोहब्बतक़ी...
जो बदनाम होक़र भी,
क़ामयाब होगी.......!

8149
नशा तो उसक़ी,
आँख़ोंमें हैं...!
क़ाज़ल तो यूँ ही,
बदनाम हुआ हैं...!!!

8150
पलक़े झुक़ाक़े,
शाम क़र गये...!
वो मुझे इस तरह,
बदनाम क़र गये...!!!
                   अफ़शा नाज़

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