8081
मोहब्बत नाम हैं ज़िसक़ा,
वो ऐसी क़ैद हैं यारों...
क़ि उम्रें बीत ज़ाती हैं,
सज़ा पूरी नहीं होती.......
8082क़िसने वफ़ाक़े नामपें,धोक़ा दिया मुझे...क़िससे क़हूँ क़ि मेरा,ग़ुनहग़ार कौन हैं.......?नज़ीब अहमद
8083
नामसे उसक़े,
पुक़ारूँ ख़ुदक़ो...
आज़ हैंरान ही क़र दूँ,
ख़ुद क़ो.......
नोमान शौक़
8084मैं रौशनीपें ज़िंदग़ीक़ा,नाम लिखक़े आ ग़या...उसे मिटा मिटाक़े,ये सियाह रात थक़ ग़ई...नसीम अंसारी
8085
बरसोंसे तिरा ज़िक्र,
तिरा नाम नहीं हैं...
लेक़िन ये हक़ीक़त हैं क़ि,
आराम नहीं हैं.......
निसार इटावी
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