8041
मैं आख़िर क़ौनसा मौसम,
तुम्हारे नाम क़र देता...
यहाँ हर एक़ मौसमक़ो,
ग़ुज़र ज़ानेक़ी ज़ल्दी थी.......
राहत इंदौरी
8042
मेरी मोहब्बतक़ी ना सहीं,
मेरे सलिक़ेक़ी तो दाद
दे...
रोज़ तेरा ज़िक्र
क़रता हूँ,
बग़ैर तेरा नाम
लिये.......
8043
मेरी मोहब्बतक़ी,
सच्चाई तो देख़...
मैं तेरे नाम वालोसे भी,
इज्ज़तसे पेंश आता हूँ...!
8044मुमक़िन हैं पलटक़र,मैं चला आऊँ सफ़रसे...वह नाम तो ले,रूहक़ी ग़हराईसे मेरा...
8045
ख़्वाबमें नाम तिरा ले क़े,
पुक़ार उठता हूँ...!
बे-ख़ुदीमें भी मुझे,
याद तिरी याद क़ी हैं.......!!!
माधव राम ज़ौहर
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