8141
ख़ुदा क़रे वो मोहब्बत,
जो तेरे नामसे हैं...
हज़ार साल गुज़रनेपें भी,
ज़वान ही रहे.......
8142ख़ुदा ऐसे एहसासक़ा नाम हैं...रहे सामने और दिख़ाई न दे...!बशीर बद्र
8143
साथ रख़िए क़ाम आएग़ा,
बहुत नाम-ए-ख़ुदा...
ख़ौफ़ ग़र ज़ाग़ा तो फ़िर,
क़िसक़ो सदा दी ज़ाएग़ी.......
8144ख़ुदाक़े नामपें,क़्या क़्या फ़रेब देते हैं...ज़माना-साज़ ये रहबर भी,मैं भी दुनिया भी.......मंसूर उस्मानी
8145
ख़ुदाबंदा मेरी ग़ुमराहियोंपर,
दरग़ुज़र फ़रमां...
मैं उस माहौलमें रहता हूँ,
ज़िसक़ा नाम दुनिया हैं.......
अक़बर हैंदरी
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