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अब उसक़ी शक़्ल भी,
मुश्क़िलसे याद आती हैं...
वो ज़िसक़े नामसे,
होते न थे ज़ुदा मिरे लब...
अहमद मुश्ताक़
8057हाथों हथेलियों,नाम युँ हीं हिनाक़ा होता हैं...रंग़ सारे पियाक़े होते हैं,मेंहरबानी होग़ी आपक़ी मुस्कान दिख़ ज़ाए...चेहरेपर सज़ै आपक़े पैग़ाम दिख़ ज़ाए,पर्दोंमें न छिपाओ आँख़ोंक़ा तुम क़ाज़ल...क़ाश क़ि मेहँदीमें तुम्हारी,हमार नाम दिख़ ज़ाए...
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चमनक़ा नाम सुना था,
वले न देख़ा हाय...
ज़हाँमें हमने क़फ़स हीं में,
ज़िन्दग़ानीक़ी.......
8059बहुत हीं तल्ख़ तज़ुर्बेक़ा,नाम हैं चाहत...ज़ो तुमक़ो अच्छा लग़े,बस उससे प्यार मत क़रना...
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ज़िंदग़ी ज़िंदा-दिलीक़ा हैं नाम l
मुर्दा-दिल ख़ाक़ ज़िया क़रते हैं...?
इमाम बख़्श नासिख़
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