5 January 2022

8051 - 8055 बहाना ग़ुनहग़ार दिल मोहब्बत इश्क़ वफ़ा वक़्त नाम बदनाम शायरी

 

8051
मुझे बदनाम क़रनेक़ा,
बहाना ढूंढ़ता हैं ज़माना...
मैं ख़ुद हो ज़ाऊँग़ा बदनाम,
पहले मेरा नाम तो होने दो...

8052
मै ख़ुद ही ग़ुनहग़ार हूँ,
अपनी बर्बादियोंक़ा l
ना मै मोहब्बत क़रता,
ना वो बदनाम होती ll

8053
क़्या मस्लहत-शनास,
था वो आदमी क़तील...
मज़बूरियोंक़ा ज़िसने,
वफ़ा नाम रख़ दिया...
                  क़तील शिफ़ाई

8054
अब मिरी बात ज़ो माने तो,
ले इश्क़क़ा नाम...
तू ने दुख़ दिल--नाक़ाम,
बहुत सा पाया...
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

8055
उसक़ा नाम,
वक़्त था शायद...
यूँ ग़या पलटक़े,
दोबारा आया...!

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