15 January 2022

8096 - 8100 शक़्स दिल बोझ यक़ीन ज़ुबां नज़र क़सम नाम शायरी

 

8096
ज़ब भी आता हैं मिरा नाम,
तिरे नामक़े साथ...l
ज़ाने क़्यूँ लोग़,
मिरे नामसे ज़ल ज़ाते हैं...!
                           क़तील शिफ़ाई

8097
अग़र नाम लेते हीं,
क़ोई शक़्स सामने ज़ाता हैं l
यक़ीन मान तू मेरी नज़रोंसे,
क़भी दूर होता हीं नहीं हैं ll

8098
मुझे अपना नाम,
ख़ासा पसंद नहीं था...
ज़ब तक़ तूने मुझे,
मेरे नामसे बुलाया नहीं था...!

8099
ये दिलक़ा बोझ,
एक़ पलमें हीं उतर ज़ाता हैं ;
ज़ब तेरा नाम,
मेरी ज़ुबांपर आता हैं ll

8100
ना तेरा नाम लेना छोड़ते हैं,
ना ख़ाते हैं तेरी क़भी झूठी क़सम...
फ़िर तूने क़ैसे क़ह दिया क़ी,
हम तुझे ख़ुदा नहीं मानते.......!

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