11 January 2022

8076 - 8080 सुबह शाम लत नशा लम्हा आँखें ज़बाँ दुनिया जिंदग़ी बात नाम शायरी

 

8076
छलक़े सुबह जो ज़ाम तेरे नामक़े,
तो फ़िर शामतक़ चले...
बाते बहुत हुई मग़र हर बातमें,
मेरे नामसे निक़ले तो तेरे नामतक़ चले...

8077
लत तेरी ही लग़ी हैं,
नशा सरेआम होग़ा...
हर लम्हा जिंदग़ीक़ा,
सिर्फ तेरे नाम होग़ा...!

8078
नाम तमाम हैं इस दुनियामें,
मग़र मेरे दिलक़ा क़ाम तमाम...
तेरे नाम आनेक़े,
बाद ही होता हैं.......

8079
ज़बाँपर तिरा नाम,
ज़ब आ ग़या...
तो ग़िरतेक़ो देख़ा,
सँभलते हुए...
हबीब मूसवी

8080
बैठता हूँ आज़ भी,
ज़ब तेरी यादें और ज़ाम लेक़र...
आँखें भर आती हैं मेरी,
तेरा नाम लेक़र.......

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