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1 March 2017

1027 बिछड़ यकीन बेशक ख्वाब हसीन शायरी


1027
बिछड़कर फिर मिलेंगे,
यकीन कितना था...
बेशक ख्वाब ही था,
मगर हसीन कितना था...