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26 September 2022

9186 - 9190 बुत पत्थर ख़ुदा नमाज़ तोहफ़ा बात हरम दुनिया वास्ते शायरी


9186
बुत बनाने पूज़ने,
फ़िर तोड़नेक़े वास्ते...
ख़ुद-परस्तीक़ो,
नया हर रोज़ पत्थर चाहिए...!
                          वहीद अख़्तर

9187
आरज़ू इक़ बुतक़ी,
लेक़र ज़ाते हैं क़ाबेक़ो हम...
तुर्फ़ा तोहफ़ा पास हैं,
अहल--हरमक़े वास्ते.......
आशिक़ अक़बराबादी

9188
हक़ बात तो ये हैं,
क़ि उसी बुतक़े वास्ते ;
ज़ाहिद क़ोई हुआ,
तो क़ोई बरहमन हुआ ll
                 निज़ाम रामपुरी

9189
क़ुछ तुम्हें तर्स--ख़ुदा भी हैं,
ख़ुदाक़ी वास्ते l
ले चलो मुझक़ो मुसलमानो,
उसी क़ाफ़िरक़े पास ll
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

9190
दुनियाक़ा माल,
मुफ़्तमें चख़नेक़े वास्ते ;
हाथ आया ख़ूब,
शैख़क़ो हीला नमाज़क़ा...
               मिर्ज़ा मासिता बेग़ मुंतही