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25 November 2018

3576 - 3580 महोब्बत दुनिया ज़ुबान शराब उल्फत सवाल इज़्ज़त बदनाम वक्त मयखाने शायरी


3576
दुनियामें सबसे कड़वी चीज़,
इन्सानकी ज़ुबान हैं;
शराब तो,
खामखां बदनाम हैं...!

3577
शामका वक्त हो,
और 'शराब' ना हो...!
इंसानका वक्त इतना भी,
'खराब' ना हो.......!

3578
एक तेरा ही नशा था,
जो शिकस्त दे गया मुझे...
वरना मयखाने भी तौबा करते थे,
मेरी मयकशीसे.......!

3579
"मयखानेकी इज़्ज़तका सवाल था हुज़ूर...
सामनेसे गुज़रे तो, थोडासा लड़खड़ा दिए...!"

3580
कभी मंदिरोंमें,
महोब्बतकी बातें सुनी मैने...
मयखानोंमें हर तरफ,
उल्फतके ही चर्चे थे.......!