Showing posts with label मीठा हिसाब इक़रार इंतज़ार दूरियाँ वजह लफ़्ज़ तक़ल्लुफ़ इश्क़ शायरी. Show all posts
Showing posts with label मीठा हिसाब इक़रार इंतज़ार दूरियाँ वजह लफ़्ज़ तक़ल्लुफ़ इश्क़ शायरी. Show all posts

21 September 2019

4761 - 4765 मीठा हिसाब इक़रार इंतज़ार दूरियाँ वजह लफ़्ज़ तक़ल्लुफ़ इश्क़ शायरी


4761
"इश्क़"
वो नीमकी डाली हैं,
जिसका नया पत्ता ही,
"मीठा" लगता हैं...

4762
अलग ही होता हैं,
'इश्क़' का हिसाब...
जहां "तुम और मैं दो नहीं",
"एक" होते हैं.......!

4763
जो जीनेकी वजह हैं,
तेरा इश्क़...!
जो जीने नहीं देता,
वो भी हैं तेरा इश्क़...!!!

4764
चंद लफ़्ज़ोंकी तक़ल्लुफ़में,
ये इश्क़ रुक गया...
वो इक़रारपे रुके रहे,
और मैं इंतज़ारपे रुक गया...!

4765
जो दूरियोंमें भी कायम रहा,
वो इश्क़ ही कुछ और था...!