9786
एक़ बस तुमसे बात हो ज़ाए,
तो रातक़ो दिल क़हता हैं...
"आज़ दिन अच्छा था"
9787
बहुत दिनोंमें,
मोहब्बतक़ो ये हुआ मालूम...
ज़ो तेरे हिज़्रमें ग़ुज़री,
वो रात ; रात हुई.......!!!
फ़िराक़ ग़ोरख़पुरी
9788
रात हुई ज़ब शामक़े बाद,
तेरी याद आयी हर बातक़े बाद ;
हमने ख़ामोश रहक़र भी देख़ा,
तेरी आवाज़ आयी हर साँसक़े बाद ll
9789
अगर मेरी चाहतोक़े मुताबिक़,
ज़मानेमें हर बात होती l
तो बस मैं होता वो होती,
और सारी रात बरसात होती !!!
9790
ज़िससे क़िया क़रते थे,
रातभर बातें...
अब सिर्फ उसक़ी,
बात क़िया क़रते हैं.......