29 July 2023

9786 - 9790 मोहब्बत आवाज़ ख़ामोश ज़माने साँस याद चाहत हिज़्र बरसात दिन शाम रात बातें शायरी

 
9786
एक़ बस तुमसे बात हो ज़ाए,
तो रातक़ो दिल क़हता हैं...
"आज़ दिन अच्छा था"

9787
बहुत दिनोंमें,
मोहब्बतक़ो ये हुआ मालूम...
ज़ो तेरे हिज़्रमें ग़ुज़री,
वो रात ; रात हुई.......!!!
फ़िराक़ ग़ोरख़पुरी

9788
रात हुई ज़ब शामक़े बाद,
तेरी याद आयी हर बातक़े बाद ;
हमने ख़ामोश रहक़र भी देख़ा,
तेरी आवाज़ आयी हर साँसक़े बाद ll

9789
अगर मेरी चाहतोक़े मुताबिक़,
ज़मानेमें हर बात होती l
तो बस मैं होता वो होती,
और सारी रात बरसात होती !!!

9790
ज़िससे क़िया क़रते थे,
रातभर बातें...
अब सिर्फ उसक़ी,
बात क़िया क़रते हैं.......

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