23 July 2023

9756 - 9760 बातें शायरी

 

9756
नाराज़ग़ियोंक़ो क़ुछ देर,
चुप रह क़र मिटा लिया क़रो...
ग़लतियोंपर बात क़रनेसे,
रिश्ते उलझ ज़ाते हैं.......

9757
चुप रहक़े ग़ुफ़्तुगू हीं से,
पड़ता हैं तफ़रक़े...
होते हैं दोनो होंट,
ज़ुदा इक़ सदाक़े साथ...
ख़्वाज़ा मोहम्मद वज़ीर

9758
एक़से क़रता नहीं,
क़्यों दूसरा क़ुछ बातचीत..
देख़ता हूँ मैं ज़िसे,
वो चुप तेरी महफ़िलमें हैं...

9759
मैं चुप रहा क़ि,
वज़ाहतसे बात बढ़ ज़ाती l
हज़ार शेवा--हुस्न--बयाँक़े होते हुए.......
इफ़्तिख़ार आरिफ़

9760
समझे दिलक़ी बात वो चुप रहें,
बाक़ि वाह-वाह क़रक़े चले ग़ए...

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