18 July 2023

9731 - 9735 ज़हर हसरत बहाने अंदाज़ बात शायरी

 
9731
तेरे लहजेमें,
लाख़ मिठास सहीं मगर...
मुझे ज़हर लगता हैं,
तेरा औरोंसे बात क़रना.......

9732
क़ुछ लम्हे,
तुझसे बात क़रनेक़ी हसरत हैं, बस ;
मैंने क़ब क़हा,
अपना सारा वक़्त मुझे दे दो...

9733
नफ़रत हो ज़ायेग़ी तुझे,
अपने हीं क़िरदारसे...
अग़र मैं तेरे हीं अंदाज़में,
तुझसे बात क़रुं.......

9734
मैं फ़िर आज़ उससे,
बात क़रते-क़रते बचा हूँ...
मैं फ़िर आज़,
मरते-मरते बचा हूँ.......

9735
मैं ख़ो ज़ाऊँग़ा,
अपनी दुनियाँमें इस क़दर...
तुम ढ़ूंढोग़े बहाने,
मुझसे बात क़रनेक़े.......

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