9731
तेरे लहजेमें,
लाख़ मिठास सहीं मगर...
मुझे ज़हर लगता हैं,
तेरा औरोंसे बात क़रना.......
9732क़ुछ लम्हे,तुझसे बात क़रनेक़ी हसरत हैं, बस ;मैंने क़ब क़हा,अपना सारा वक़्त मुझे दे दो...
9733
नफ़रत हो ज़ायेग़ी तुझे,
अपने हीं क़िरदारसे...
अग़र मैं तेरे हीं अंदाज़में,
तुझसे बात क़रुं.......
9734मैं फ़िर आज़ उससे,बात क़रते-क़रते बचा हूँ...मैं फ़िर आज़,मरते-मरते बचा हूँ.......
9735
मैं ख़ो ज़ाऊँग़ा,
अपनी दुनियाँमें इस क़दर...तुम ढ़ूंढोग़े बहाने,
मुझसे बात क़रनेक़े.......
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