9666
तेरे रुख़्सारपर ढले हैं,
मेरी शामक़े क़िस्से...
ख़ामोशीसे माग़ी हुई,
मोहब्बतक़ी दुआ हो तुम...!
9667इतनी भी दुवा ना क़र,उस ख़ुदासे, क़े...हम ख़ामोश हो ज़ाये,तेरे प्यारमें.......
9668
हज़ारो हैं मरे,
अल्फ़ाज़क़े दीवाने...
क़ोई ख़ामोशी सुननेवाला होता,
तो और बात थी.......
9669ख़ामोशियोंसे मिल रहें हैं,ख़ामोशियोंक़े ज़वाब...अब क़िसे ज़ाक़र क़हूँ,मेरी उनसे बात नहीं होती.......!
9670
रहने दे क़ुछ बातें,
यूँ हीं अनक़हींसी...
क़ुछ ज़वाब तेरी मेरी ख़ामोशीमें,
अटक़े हीं अच्छे हैं.......
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