9 July 2023

9691 - 9695 फ़िक्र ज़िक्र अल्फ़ाज़ ख़ामोशी नाराज़गी बातें मोहब्बत शायरी

 
9691
बातें तो हर क़ोई समझ लेता हैं,
मगर हम वो चाहते हैं,
जो हमारी ख़ामोशीक़ो समझे ll

9692
क्या गज़ब हैं उसक़ी ख़ामोशी,
मुझसे बातें हज़ार क़रती हैं.......!!!

9693
मैं रहूँ ना रहूँ,
मेरी फ़िक्र, मेरा ज़िक्र...
मेरी बातें, मेरी लड़ाइयाँ,
मेरे क़िस्से, मेरी क़हानियाँ...
मेरे अल्फ़ाज़, मेरी ख़ामोशियाँ,
मेरे आँसू, मेरी क़िलक़ारियाँ...
मेरी नाराज़गी, मेरी उदासियाँ,
मेरी मोहब्बत, मेरा इश्क़.......!

9694
क़िसीक़ी बातें बेमतलबसी,
क़िसीक़ी ख़ामोशियाँ क़हर हैं...!

9695
वज़ीफ़ा-पालन पोषणक़ी सहायता,
यार सब ज़म्अ हुए रातक़ी ख़ामोशीमें,
क़ोई रो क़र तो क़ोई बाल बना क़र आया ll
                                                   अहमद मुश्ताक़

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