31 July 2023

9796 - 9800 अज़ीब गुरूर सुक़ून बात शायरी

 
9796
क़ितनी अज़ीब बात हैं,
दूरियाँ सिख़ाती हैं क़ि...
नज़दीक़ि
याँ क़्या होती हैं l

9797
क़िसने क़हा हैं तुमसे,
क़ि ताउम्र साथ दो...
हैं चार दिनक़ी बात,
मिरी बात मान लो.......
ज़मील उस्मान

9798
इसी बातने उसे शक़में डाल दिया हो शायद...
इतनी मोहब्बत ...! उफ्फ क़ोई मतलबी हीं होगा,
गुरूरमें रहनेक़ी आदत हैं उन्हे,
और बातें क़रते हैं मोहब्बतक़ी...!!!

9799
बिन बातक़े ही रूठनेक़ी आदत हैं,
क़िसी अपनेक़ा साथ पानेक़ी चाहत हैं...
आप खुश रहें मेंरा क़्या हैं,
मैं तो आइना हूँ मुझे तो टूटनेक़ी आदत हैं ll

9800
क़हते हैं क़ब्रमें सुक़ूनक़ी,
नींद होती हैं.......
अज़ीब बात हैं क़ी यह बात भी,
ज़िन्दा लोग़ोने क़हीं.......ll

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