3671
न वफाका
जिकर होगा,
न वफाकी
बात होगी,
अब मोहब्बत जिससे भी
होगी,
रुपये ठिकाने लगानेके
बाद होगी...
3672
जो भी
मिले अपनोंसे,
करना
कबूल हँसकर...
वफा थी पास
मेरे,
वफा हम कर
गये;
है उनके कर्जदार,
जो बहोत कुछ
सिखा गये ।
3673
लौट आओ और
मिलो उसी तड़पसे,
अब तो मुझे
मेरी वफाओंका
सिला दे दो;
इंतजार ख़त्म नहीं
होता है आँखोंका,
किसी शब् अपनी
एक झलक दे
दो।
3674
अपनी वफ़ाका,
इतना दावा न
कर ए नादान...
मैने रूहको
जिस्मसे,
बे-वफाई करते
देखा हैं.......!
3675
न समझ मैं
भूल गया हूँ
तुझे,
तेरी खुशबू मेरे साँसोमें आज भी
हैं ।
मजबूरीयोंने निभाने न
दी मोहब्बत,
सच्चाई मेरी वफाओमें आज भी
हैं ।