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22 March 2018

2516 - 2520 मोहब्बत प्यार ज़िंदगी मौसम याद गलत झूठ चेहरे मुस्कान आँख आँसू तड़प वक़्त शायरी


2516
तुझे रातभर,
ऐसे याद करता हूँ मैं...
जैसे सुबह,
इम्तेहान हो मेरा...!!!

2517
"दोस्ती" रूहमें उतरा हुआ,
मौसम हैं...
ताल्लुक कम कर देनेसे,
मोहब्बत कम हीं होती...

2518
कभी-कभी ज़िंदगीमें ये तय करना,
बड़ा मुश्किल हो जाता हैं कि गलत क्या हैं?
वो झूठ जो चेहरेपें मुस्कान लाए...
या वो सच जो आँखोंमें आँसू लाए...!!!

2519
नजरे ही प्यारकी जुबान होती हैं,
मोहब्बत तो सदा बेजुबान होती हैं,
जब मिलती हैं मोहब्बत तड़प लेनेके बाद...
हीं मोहब्बत बेश किमती हिरेके समान होती हैं !

2520
लोग कहते हैं कि,
वक़्त किसीका ग़ुलाम नहीं होता...
फिरतेरी मुस्कराहटपें,
वक़्त क्यूँ थमसा जाता हैं...!