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30 June 2019

4436 - 4440 मोहब्बत सहारे मुश्किल महफ़िल ज़िन्दगी ख़्वाब चाहत ख़ुशी वक़्त दर्द आदत शायरी


4436
बरसों बाद भी तेरी,
'जिद' की आदत नहीं बदली; 
काश हम मोहब्बत नहीं,
तेरी आदत होते...!

4437
सहारे ढूढ़नेकी,
आदत नही हमारी...
हम अकेले ही,
पूरी महफ़िलके बराबर...!

4438
पड जाती हैं उनकी आदत,
जो मुश्किलोंमें करीब होते हैं...
सच ही कहां हैं किसीने की,
ये सहारे भी अजीब होते हैं...!

4439
ज़िन्दगी एक हसीन ख़्वाब हैं,
जिसमें जीनेकी चाहत होनी चाहिये...l
ग़म खुदही ख़ुशीमें बदल जायेंगे,
सिर्फ मुस्कुरानेकी आदत होनी चाहिये ll

4440
आदत बदल सी गई हैं,
वक़्त काटनेकी l
हिम्मत ही नहीं होती,
अपना दर्द बांटनेकी ll