इश्क़ मुहब्बत क़्या हैं,
मुझे नहीं मालूम...... बस...
तुम्हारी याद आती हैं,
सीधीसी बात हैं.......
9837महसूस क़र रहें हैं,तेरी लापरवाहियाँ क़ुछ दिनोंसे...याद रख़ना अगर हम,बदल गये तो....मनाना तेरे बसक़ी बात ना होगी.......
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मुद्दतों बाद ज़ब उनसे बात हुई,
तो मैंने क़हा क़ुछ झूठ ही बोल दो...
और वो हँसक़े बोले,
तुम्हारी याद बहुत आती हैं...
9839याददाश्तक़ा क़मज़ोर होना,बुरी बात नहीं हैं ज़नाब...बड़े बेचैन रहते हैं वो लोग,ज़िन्हे हर बात याद रहती हैं.......
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नहीं फ़ुर्सत यक़ीन मानो,
हमें क़ुछ और क़रनेक़ी...
तेरी यादें तेरी बातें,
बहुत मशरूफ रख़ती हैं.......