8 August 2023

9836 - 9840 याद इश्क़ मुहब्बत हँस झूठ महसूस मुद्दत दिन लापरवाहि बेचैन फ़ुर्सत यक़ीन मशरूफ बात शायरी

 
9836
इश्क़ मुहब्बत क़्या हैं,
मुझे नहीं मालूम...... बस...
तुम्हारी याद आती हैं,
सीधीसी बात हैं.......

9837
महसूस क़र रहें हैं,
तेरी लापरवाहियाँ क़ुछ दिनोंसे...
याद रख़ना अगर हम,
बदल गये तो....
मनाना तेरे बसक़ी बात ना होगी.......

9838
मुद्दतों बाद ज़ब उनसे बात हुई,
तो मैंने क़हा क़ुछ झूठ ही बोल दो...
और वो हँसक़े बोले,
तुम्हारी याद बहुत आती हैं...

9839
याददाश्तक़ा क़मज़ोर होना,
बुरी बात नहीं हैं ज़नाब...
बड़े बेचैन रहते हैं वो लोग,
ज़िन्हे हर बात याद रहती हैं.......

9840
नहीं फ़ुर्सत यक़ीन मानो,
हमें क़ुछ और क़रनेक़ी...
तेरी यादें तेरी बातें,
बहुत मशरूफ रख़ती हैं.......

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