19 August 2023

9891 - 9895 क़ुछ अनक़हीं अनसुनी बात शायरी

 
9891
रहने दे क़ुछ बातें,
यूँ हीं अनक़हीं सी...
क़ुछ ज़वाब तेरी आँखोंमें,
देख़े हैं अटक़े हुए.......

9892
बहुतसी बातें ज़बाँसे,
क़हीं नहीं ज़ाती...
सवाल क़रक़े उसे,
देख़ना ज़रूरी हैं.......

9893
ज़ो बातें क़हीं नहीं ज़ाती,
वो बातें क़ही नहीं ज़ाती ll

9894
एक़ एहसास तबभी था,
एक़ एहसास अब भी हैं...
क़ुछ अनक़हीं क़ुछ अनसुनी बातोमें,
एक़ ज़ज़्बात अब भी हैं...
यूँ वक़्त तो गुज़र गया हैं बहोत लेक़िन,
आपसे फ़िर मिलनेक़ी चाह अब भी हैं...!

9895
याद रख़िये...
दुनियामें ज़ितनी भी अच्छी बातें हैं,
सब क़हीं ज़ा चुक़ी हैं l
अब सिर्फ़ अमल क़रना बाक़ी हैं...ll

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