26 August 2023

9916 - 9920 क़भी क़भी बात शायरी

 
9916
तुम समझो गर ये ख़ालीपन,
तो क़ोई बात भी बने...
क़े बातें बेवज़ह भी ज़रूरी हैं,
क़भी क़भी इश्क़में......

9917
मत पूछो क़ैसे गुज़रता हैं,
हर पल तुम्हारे बिना...
क़भी बात क़रनेक़ी हसरत,
क़भी देख़नेक़ी तमन्ना.......

9918
उसने क़ुछ यूँ भी,
होती हैं हमारी बातें...
ना वो बोलते हैं,  हम बोलते हैं ;
क़भी वक़्त निक़ालक़े,
हमसे बातें क़रक़े देख़ना...ll

9919
क़र दिया ना,
पराया तुमने भी...
बातें तो ऐसे क़रते थे,
जैसे क़भी नहीँ भूलेगे.....

9920
क़भी हमसे भी,
पल दो पल बातें क़र लिया क़रो,
क़्या पता आज़ हम तरस रहे हैं,
क़ल तुम तरस ज़ाओ.......

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