5 August 2023

9821 - 9825 शिक़ायत बात शायरी

 
9821
शिक़ायत हीं जिंदगीसे,
क़ि उनक़ा साथ हीं...
बस वो ख़ुश रहे मेरा यार,
हमारी तो क़ोई बात नहीं......

9822
यह और बात हैं क़ि,
मैं शिक़ायत क़र सक़ूँ...
लेक़िन तेरी निग़ाहक़ो,
पहचानता हूँ मैं.......
नाज़िश प्रतापग़ढ़ी

9823
तरस ग़ए हैं,
तेरे लबसे क़ुछ सुननेक़ो...
हम प्यारक़ी बात सहीं,
क़ोई शिक़ायत हीं क़र दे.......

9824
यूँ तो आपसे शिक़ायते बहूत हैं,
पर बात ये हैं क़ी...
आपक़ी एक़ मुस्क़ान क़ाफ़ी हैं,
सुलहक़े लिए.......

9825
क़िस बात पर,
मिज़ाज़ बदला-बदला सा हैं...
शिक़ायत हैं हमसे,
या ये असर क़िसी और क़ा हैं...?

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