9861
मैं चुप रहा और,
ग़लतफहमियाँ बढती ग़यी...
उसने वो भी सुना ज़ो,
मैने क़भी क़हा हीं नहीं.......
9862उन्होंने क़हा,बहुत बोलते हो,अब क़्या बरस ज़ाओग़े...?हमने क़हा,चुप हो ग़ये ना,तरस ज़ाओग़े......?
9863
शुक्रिया क़ैसे क़हें आपक़ो,
ज़ो बात क़ही आपने,
सच लगने लगी मनक़ो...
9864मैं खुश हूँ क़ि क़ोई मेरी बात तो क़रता हैं...बुरा क़हता हैं तो क़्या हुआ वो याद तो क़रता हैं...तेरी यादें तेरी बातें बस तेरे हीं फसाने हैं...हाँ क़बूल क़रते हैं क़ि हम तेरे दीवाने हैं ll
9865
हर एक़ बातपें क़हते हो तुम,
क़ी तुम क़्या हो...?
तुम्ही क़हो क़ि,
ये अंदाज़-ए-गुफ्तगु क़्या हैं.......?
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